भारत-ईरान ट्रेड रिलेशन: क्या मौके अभी भी मौजूद हैं?

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अवसर और अंतर्दृष्टि

भारत-ईरान ट्रेड रिलेशन: क्या मौके अभी भी मौजूद हैं?

  1. प्रस्तावना: भारत-ईरान — रिश्तों की नींव पर व्यापार का निर्माण

भारत और ईरान के बीच व्यापारिक संबंध सदियों पुराने हैं — चाहे वह फारसी साम्राज्य के समय से हो या आधुनिक ऊर्जा सहयोग, भारत-ईरान संबंध केवल राजनीति नहीं, बल्कि रणनीति पर आधारित रहे हैं।

परंतु हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों, SWIFT बैन, और क्षेत्रीय अनिश्चितताओं के चलते, क्या व्यापार के मौके अब भी बचे हैं?

“जो देश अपने भौगोलिक पड़ोस की उपेक्षा करते हैं, वे वैश्विक अवसरों से भी चूक जाते हैं। भारत और ईरान, भू-रणनीतिक से अधिक ‘भविष्य-रणनीतिक’ साझेदार हैं।”
Dr. Ahmad Mirabi, Market Entry & Trade Consultant, Iran

  1. व्यापार की वर्तमान स्थिति: संक्षिप्त अवलोकन

व्यापार क्षेत्रभारत → ईरानईरान → भारत
ऊर्जा (तेल, LPG)घटती आपूर्तिअस्थायी विराम
फार्मा, FMCGबढ़ती माँगउच्च संभावनाएँ
B2B निर्माणसक्रियसीमित
कृषि उत्पादसक्रियसीमित

 प्रमुख रुझान:

  • व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है
  • फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाइल, खाद्य प्रसंस्करण में भारतीय कंपनियों की उपस्थिति
  • व्यापारिक भुगतान की वैकल्पिक व्यवस्था (बार्टर, रूपी अकाउंट्स, लोकल एजेंट्स)

  1. बाधाएँ और चुनौतियाँ: क्या भारत तैयार है?

 वित्तीय प्रणाली की अस्थिरता

SWIFT से ईरान के बाहर होने के कारण भुगतान चैनल जटिल हैं।

 संवेदनशील डिप्लोमेसी

अमेरिका-ईरान संबंधों में अस्थिरता के कारण भारत की स्थिति अक्सर संतुलनकारी होती है।

 लॉजिस्टिक्स और इंश्योरेंस चुनौतियाँ

Shipping और Reinsurance में पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण बाधाएँ बनी रहती हैं।

Dr. Mirabi का सुझाव:

“बाधाएँ स्थायी नहीं हैं — लेकिन तैयारी और रणनीति स्थायी होनी चाहिए।”

  1. मौके अब कहाँ हैं? — उभरते क्षेत्रों की पहचान

फार्मास्यूटिकल्स और हेल्थकेयर

भारत के जेनरिक उत्पाद, OTC, आयुर्वेदिक वस्तुएँ

 टेक्सटाइल और फैशन

Cotton, Blended Fabrics, Traditional Wear — ईरान में बढ़ती माँग

 कृषि उत्पाद और पैकेज्ड फूड्स

Spices, Tea, Rice, Processed Foods — “भारतीय स्वाद” को पहचान मिल रही है

 डिजिटल टेक्नोलॉजी और SaaS

Low-Cost SaaS Tools, HealthTech, और EduTech में अवसर

 

  1. क्या अब भी भारत के लिए कूटनीतिक विकल्प हैं?

हाँ — लेकिन “सरकारी समझौते” से ज़्यादा अब “व्यापार-आधारित सामंजस्य” की ज़रूरत है।
Dr. Mirabi कहते हैं:

“भारत को अब ‘Track-II Diplomacy’ यानी कंपनियों, निवेशकों और सलाहकारों के स्तर पर कार्यशील नेटवर्क बनाना चाहिए।”

उदाहरण:

  • Indian Chambers of Commerce को ईरान में एक्सपोज़ और विज़िटिंग प्रोग्राम बढ़ाने चाहिए
  • कंपनियों को मिड-लेवल और लो-रिस्क क्षेत्रों से शुरुआत करनी चाहिए

MSME सेगमेंट को Empower किया जाए

 

  1. निष्कर्ष: मौके खत्म नहीं हुए — वे सिर्फ नई सोच चाहते हैं

भारत-ईरान व्यापार के मौके अभी भी मौजूद हैं, लेकिन अब उन्हें पुराने रिश्तों से नहीं, नई रणनीति से संभालना होगा। यदि भारत ने प्राइवेट सेक्टर, MSME और लोकल नेटवर्किंग को सक्षम किया — तो ईरान 2030 तक भारत के शीर्ष 15 साझेदारों में लौट सकता है।

 

अतिरिक्त अनुभाग 1: क्या भारत को “ईरान प्लस वन” रणनीति अपनानी चाहिए?

चीन पर अत्यधिक निर्भरता को संतुलित करने के लिए वैश्विक स्तर पर “चाइना प्लस वन” रणनीति पर ज़ोर दिया जा रहा है। लेकिन भारत जैसे क्षेत्रीय शक्ति को क्या “ईरान प्लस वन” जैसी रणनीति अपनाकर मध्य एशिया और खाड़ी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मज़बूत नहीं करनी चाहिए?

ईरान न केवल एक बाज़ार है, बल्कि एक भूराजनीतिक ट्रांजिट हब भी है — जो भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुँचने में मदद करता है।
Dr. Mirabi के अनुसार:

“ईरान को केवल ‘पार्टनर’ नहीं, बल्कि ‘प्लेटफ़ॉर्म’ के रूप में देखना चाहिए — वह भारत को पूर्व से पश्चिम तक ले जा सकता है।”

अतिरिक्त अनुभाग 1: क्या भारत को “ईरान प्लस वन” रणनीति अपनानी चाहिए?

चीन पर अत्यधिक निर्भरता को संतुलित करने के लिए वैश्विक स्तर पर “चाइना प्लस वन” रणनीति पर ज़ोर दिया जा रहा है। लेकिन भारत जैसे क्षेत्रीय शक्ति को क्या “ईरान प्लस वन” जैसी रणनीति अपनाकर मध्य एशिया और खाड़ी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मज़बूत नहीं करनी चाहिए?

ईरान न केवल एक बाज़ार है, बल्कि एक भू-राजनीतिक ट्रांजिट हब भी है — जो भारत को अफगानिस्तान, मध्य एशिया और रूस तक पहुँचने में मदद करता है।
Dr. Mirabi के अनुसार:

“ईरान को केवल ‘पार्टनर’ नहीं, बल्कि ‘प्लेटफ़ॉर्म’ के रूप में देखना चाहिए — वह भारत को पूर्व से पश्चिम तक ले जा सकता है।”

अतिरिक्त अनुभाग 2: “नॉन-डॉलर ट्रेड” — क्या यह भारत और ईरान के लिए दीर्घकालिक समाधान है?

अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान में डॉलर आधारित लेन-देन सीमित हैं। इस कारण भारत और ईरान के बीच रुपयारियाल व्यापार, बार्टर सिस्टम, और लोकल करेंसी स्वैप जैसे विकल्पों पर विचार हो रहा है।

भारतीय कंपनियाँ, जो SME या मिड-साइज़ हैं, उनके लिए इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्थाएँ जोखिम से बचाव और बाज़ार में प्रवेश का मार्ग बन सकती हैं।
Dr. Mirabi की सलाह:

“यदि आप तैयार हैं, तो नॉन-डॉलर ट्रेड भी आपके लिए एक अवसर है — लेकिन सही पार्टनर और गाइड के साथ।”

अतिरिक्त अनुभाग 3: क्या भारतीय MSMEs को ईरान में सीधा निर्यात करना चाहिए?

अक्सर यह धारणा होती है कि केवल बड़ी कंपनियाँ ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार कर सकती हैं। लेकिन ईरान जैसे “value-sensitive” बाज़ार में, भारतीय MSME सेक्टर को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

FMCG, टेक्सटाइल, मेडिकल डिवाइसेज़, मोबाइल एसेसरीज़, किचनवेयर जैसे उत्पादों के लिए ईरान में लोवॉल्यूम, हाईमार्जिन मॉडल कार्य करता है। MSMEs कम लागत और व्यक्तिगत टच के कारण लोकल ग्राहकों से तेज़ी से जुड़ सकते हैं।

Dr. Mirabi बताते हैं:

“ईरान, MSME के लिए एक ट्रेनिंग ग्राउंड हो सकता है — जहाँ व्यापार कम जोखिम और अधिक सीख के साथ शुरू किया जा सकता है।”

अतिरिक्त अनुभाग 4: क्या चाबहार पोर्ट से भारत को लॉजिस्टिक बढ़त मिल रही है?

भारत द्वारा विकसित चाबहार पोर्ट न केवल अफगानिस्तान तक पहुँच का मार्ग है, बल्कि यह ईरान के दक्षिणी व्यापार नेटवर्क से भारत को जोड़ने का भौगोलिक लाभ भी देता है।

यह मार्ग भारत के पश्चिमी बंदरगाहों (मुंद्रा, न्हावा शेवा) से सस्ते और तेज़ व्यापार के लिए उपयोगी है। विशेष रूप से फार्मा, टेक्सटाइल और एफएमसीजी उत्पादों के लिए यह वैकल्पिक लॉजिस्टिक चैनल बन सकता है — जो पारंपरिक दुबई रूट से सस्ता और अधिक रणनीतिक है।

Dr. Mirabi के अनुसार:

“यदि भारत चाबहार को केवल ‘पोर्ट’ नहीं बल्कि ‘पॉलिटिकल एसेट’ के रूप में देखे — तो ईरान एक लॉजिस्टिक गेमचेंजर बन सकता है।”

 

सामान्य प्रश्न

Q1: क्या अभी भारत और ईरान के बीच व्यापार करना कानूनी है?

उत्तर: हाँ, जबकि कुछ प्रतिबंध हैं, लेकिन फार्मा, टेक्सटाइल, कृषि, मेडिकल उपकरण और गैर-तेल उत्पादों में व्यापार वैध और सक्रिय है।

Q2: क्या भारत सरकार या कोई संस्था ईरान के लिए निर्यात को बढ़ावा देती है?

उत्तर: FIEO, EEPC और विभिन्न भारतीय वाणिज्य मंडल ईरान पर विशेष रिपोर्ट, मिशन और व्यापार मेलों में भागीदारी करते हैं।

Q3: भुगतान कैसे होता है अगर डॉलर की सुविधा नहीं है?

उत्तर: लोकल करेंसी स्वैप, बार्टर, और एजेंट आधारित कलेक्शन मॉडल सक्रिय हैं। Dr. Mirabi की टीम इस पर मार्गदर्शन देती है।

Q4: क्या मुझे वीजा, एजेंट और ट्रेड लाइसेंस के लिए लोकल सपोर्ट मिलेगा?

उत्तर: हाँ, Dr. Ahmad Mirabi की विशेषज्ञ टीम भारतीय कंपनियों को लॉजिस्टिक, लीगल, और एंट्री-स्ट्रेटेजी के हर स्तर पर सहायता देती है।

संबंधों को रणनीति में बदलें — आज से

Dr. Ahmad Mirabi, जो भारत-ईरान व्यापार और बाजार में दशकों से काम कर रहे हैं, आपकी कंपनी को रणनीतिक प्लानिंग, नेटवर्किंग, और स्थानीय सहभागिता में मार्गदर्शन दे सकते हैं।

संबंधों को रणनीति में बदलें — आज से

Dr. Ahmad Mirabi, जो भारत-ईरान व्यापार और बाजार में दशकों से काम कर रहे हैं, आपकी कंपनी को रणनीतिक प्लानिंग, नेटवर्किंग, और स्थानीय सहभागिता में मार्गदर्शन दे सकते हैं।

 

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